बादल
. . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
बादल
बेशक
बरसना
तुम्हारी नियति
गरजना
तुम्हारा स्वभाव
मगर
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बादल
बेशक
बरसना
तुम्हारी नियति
गरजना
तुम्हारा स्वभाव
मगर
विचरण का शौक
क्यूँ त्याग रखे हो
क्यूँ अटक गये हो
मेरे पलकों पर
जबकि तुम्हें पता है
कि
अब सावन नहीं आने वाला
ये पतझड़ नहीं जाने वाला
फिर क्यूँ छा गये
बन
गम के
बादल
. . . . . . . . . . . .
written by शम्भू साधारण
क्यूँ त्याग रखे हो
क्यूँ अटक गये हो
मेरे पलकों पर
जबकि तुम्हें पता है
कि
अब सावन नहीं आने वाला
ये पतझड़ नहीं जाने वाला
फिर क्यूँ छा गये
बन
गम के
बादल
. . . . . . . . . . . .
written by शम्भू साधारण
wah
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