Saturday, December 1, 2012

जिन्दगी


­ जिन्दगी
 कहा है तू
 क्यु नजर नही आती
 भटक रहा हु
तेरी तलाश मे
एक अर्से से
 न तू गाव मे थी
 न तू शहर मे है
न तू घर मे थी
 न तू सफर मे है
 न तू आईने मे
न तू परछाई मे
 न तू बुलँदी मे
न तू गहराई मे
 मै जानता हु
 खत्म नही होगी
तलाश मेरी
मगर
 खत्म हो जाएगी
 इसी तलाश मे
 एक दिन
 मेरी
 जिन्दगी


written by Dinesh harman

No comments:

Post a Comment