Friday, November 30, 2012

बादल

बादल
. . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
बादल
बेशक
बरसना
तुम्हारी नियति
गरजना
तुम्हारा स्वभाव
मगर

विचरण का शौक
क्यूँ त्याग रखे हो
क्यूँ अटक गये हो
मेरे पलकों पर
जबकि तुम्हें पता है
कि
अब सावन नहीं आने वाला
ये पतझड़ नहीं जाने वाला
फिर क्यूँ छा गये
बन
गम के
बादल
. . . . . . . . . . . .
written by शम्भू साधारण

पानी

पानी
............
पानी
बेमोल है,
जब तक झरता है झरनो से,
बहता है नदियो मे,
हिस्सा है अथाह समन्द्र का
मगर
अनमोल हो जाता है,
जब नदि झरनो को छोङ कर
उतर आता है,
किसी की आँखो मे
ये.....
पानी

written By Dinesh Harman

Tuesday, November 27, 2012

मैं

..................
मैं
सोचता हूँ..
सुबह शाम रात
कब वो आएगा चाँद
मिटाएगा जो मन की अमावस्या
मगर
सोचते सोचते फिर सोचा
खुद ही चाँद बन

जीवन को सजाऊं
अँधेरा मिटाऊं
मैं

written by Arun Singh Ruhela