होली
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होली
क्या तुम्हें पता है!
अब तक है
मेरा यार रूठा हुआ
तुमने देखा नहीं कि
तुम्हारे आने से
ना उसे कुछ हुआ
ना मुझे कुछ हुआ
फिर बेवजह क्यों शोर मचा रहे हो
क्या तुम्हारे हाथ थकते नहीं
गम के काले लिबास को रंगते रंगते
जाओ जाकर
हमारे प्रेम का रंग
मेरे यार पर
उड़ेल आओ
फिर कहूँगा
सुस्वागतम् होली
written by शम्भू साधारण
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