जिन्दगी
सुखे पत्तों सी
कब लुढक जाय
आहट भी नहीँ
होती
...
सुखे पत्तों सी
कब लुढक जाय
आहट भी नहीँ
होती
...
पर
भ्रम का शिकार
यहाँ सभी
दोष देते
औरों को लोग
नहीं सोचते
खुद को लोग
जबकी
हकिकत से
अनजान है
जिन्दगी
भ्रम का शिकार
यहाँ सभी
दोष देते
औरों को लोग
नहीं सोचते
खुद को लोग
जबकी
हकिकत से
अनजान है
जिन्दगी
written by Ramesh Rajbhar
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