Sunday, December 2, 2012

जिन्दगी

जिन्दगी
सुखे पत्तों सी
कब लुढक जाय
आहट भी नहीँ
होती
...
पर
भ्रम का शिकार
यहाँ सभी
दोष देते
औरों को लोग
नहीं सोचते
खुद को लोग
जबकी
हकिकत से
अनजान है
जिन्दगी
 
 
written by Ramesh Rajbhar

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