Friday, December 28, 2012

आइना

आइना
दिखा तुम्हेँ
दिल्ली की
सड़क पर ।
खबर अब
बर्दाशत नहीँ ।
सुर्खी बनी
संसद मेँ गूंजी ।
नहीँ बनती खबर
तो क्या
बलात्कार नहीँ ?
साकी है समाज
आबरु लुटाता साकी
और वो
रोज दिखाते
आइना ।

Written By  गंभीर सिँह

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