Wednesday, December 5, 2012

हँसी

हँसी
खुबसूरत
हर दिल अजीज
खुशबूदार
प्रेम से परिपूर्ण
हर्षोल्लास की परिभाषा
मगर
तब
जब अपनो से बिछुरते हुये
मुस्कुराना पड़ता है
परिभाषा बदल जाती है
और
हँसी
नहीं रह पाती
केवल
हँसी
 
 
Written by Shambhu sadharan

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